सितंबर 14, 2025

PSL से बाहर, सीधे IPL: कुसल मेंडिस के करियर का सबसे बड़ा मोड़

श्रीलंकाई विकेटकीपर-बैटर कुसल मेंडिस आखिरकार उस लीग में पहुंच गए हैं, जहां आने की कोशिश वे सालों से कर रहे थे। IPL 2025 प्लेऑफ के लिए गुजरात टाइटंस ने उन्हें इंग्लैंड के जोस बटलर के रिप्लेसमेंट के तौर पर साइन किया है। यह उनका पहला IPL है—और यही बात इस खबर को बड़ा बनाती है। PSL में क्वेटा ग्लैडिएटर्स के लिए खेलते हुए सीजन बीच में रुक गया, फिर दोबारा शुरू होने पर मेंडिस ने पाकिस्तान लौटने से मना कर दिया। वजह—सुरक्षा को लेकर साफ शंकाएं। अब वही खिलाड़ी भारत की सबसे प्रतिस्पर्धी T20 लीग में अपनी साख और सीमित-ओवर खेल के टेंपो को परखेंगे।

यह सफर आसान नहीं रहा। मेंडिस कई बार IPL ऑक्शन में गए, पर खरीदार नहीं मिला। इस बार गुजरात ने उन्हें 75 लाख रुपये के आरक्षित मूल्य पर प्लेऑफ के लिए उठाया है। 30 साल की उम्र में, जब अधिकांश बल्लेबाज अपनी T20 ग्राफ को स्थिर रखते हैं, मेंडिस ने अलग रास्ता चुना—पीक फॉर्म के साथ नई लीग में बड़ा दांव।

PSL एपिसोड भी कम नाटकीय नहीं था। क्वेटा के लिए 7 मई को आखिरी मैच खेलने के बाद जब टूर्नामेंट रुका, तो दोबारा बहाली के समय मेंडिस ने वापसी नहीं की। रिपोर्ट्स में सुरक्षा को लेकर उनकी चिंता सामने आई। यह फैसला आसान नहीं होता, क्योंकि खिलाड़ी फ्रेंचाइजी, कॉन्ट्रैक्ट और अंतरराष्ट्रीय बोर्डों की उम्मीदों के बीच फंस जाते हैं। लेकिन मेंडिस ने अपने मन की सुनी—और आज इसका नतीजा है अहम IPL मौका।

अब कौशल की बात करें। मेंडिस T20 में 131.68 का स्ट्राइक-रेट रखते हैं और 15 अर्धशतक बना चुके हैं। बल्लेबाजी का उनका नैचुरल टेम्पो पावरप्ले में रन-रेट उठाने में मदद करता है। वे विकेटकीपर भी हैं—यानी टीम को बैलेंस मिलता है। श्रीलंका के लिए उन्होंने टॉप ऑर्डर में कई रोल निभाए: आक्रामक शुरुआत, बीच के ओवरों में रफ्तार बनाए रखना और जरूरत पर एंकर खेलना। यह बहुमुखी क्षमता आईपीएल की टीमों को हमेशा लुभाती है।

पर कहानी सिर्फ फॉर्म और नंबर की नहीं है। 2021 में बायो-बबल तोड़ने के मामले में मेंडिस, दनुष्का गुणतिलका और निरोशन डिकवेला को इंग्लैंड दौरे पर रात में डरहम शहर में घूमते देखा गया। श्रीलंका क्रिकेट ने तत्काल कार्रवाई करते हुए उन्हें घर भेजा और बाद में एक साल का अंतरराष्ट्रीय बैन लगा दिया। करियर पर ब्रेक लगा तो लगा, पर वहीं से मेंडिस ने वापसी का रास्ता भी तैयार किया। जनवरी 2022 में बैन समय से पहले हटा और खिलाड़ी मैदान में लौटा—और उसी के बाद से उनके नंबर लगातार ऊपर चढ़ते गए।

बांग्लादेश के खिलाफ T20I सीरीज में उन्होंने तीन मैचों में 181 रन बनाकर सबसे ज्यादा रन बनाए—औसत 60 से ऊपर और दो फिफ्टी। 2024 T20 विश्व कप की श्रीलंका टीम में वे शामिल रहे। सितंबर 2024 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 10वां टेस्ट शतक—और पारी से बड़ी जीत का मंच। अक्टूबर 2024 में वेस्टइंडीज के खिलाफ 68* की मैच-विनिंग पारी—और श्रीलंका का कैरेबियाई टीम के खिलाफ पहला द्विपक्षीय T20I सीरीज जीत। यह सब बताता है कि मेंडिस ने गलतियों से सीखा और फिर प्रदर्शन से कहानी पलट दी।

IPL के इस सीजन का संदर्भ अलग है। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के चलते लीग एक हफ्ते टली और फाइनल 25 मई से खिसककर 3 जून पर गया। शेड्यूल में यह फेरबदल टीमों की योजनाओं को प्रभावित करता है—खासकर विदेशी खिलाड़ियों की उपलब्धता पर। ऐसे में गुजरात का मेंडिस पर दांव रणनीति के साथ सुरक्षा का भी समाधान है: उपलब्धता साफ, फॉर्म मजबूत और रोल स्पष्ट।

जोस बटलर की जगह आने का मतलब क्या है? बटलर की T20 पहचान पावरप्ले में तेज शुरुआत और डेथ में फिनिशिंग—दोनों। मेंडिस स्टाइल में अलग हैं, पर फंक्शन वही दे सकते हैं—टॉप में टेम्पो, स्पिन के खिलाफ स्वीप-रिवर्स और बैकफुट पर कट-पुल। विकेटकीपिंग से टीम को एक विदेशी स्लॉट और बैटिंग डेप्थ का स्पेस भी मिल सकता है। प्लेऑफ में अक्सर यही एक स्लॉट मैच का रुख बदल देता है।

गुजरात टाइटंस फिलहाल 11 में से 8 जीत के साथ 16 अंकों पर हैं, नेट रन-रेट से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु से आगे। शुबमन गिल की कप्तानी में टीम दूसरी ट्रॉफी की दौड़ में है। स्क्वॉड सेटअप टॉप-ऑर्डर कंट्रोल, मिडिल में स्थिरता और डेथ में बर्स्ट पर टिका है। मेंडिस आने से टॉप में एक आक्रामक-पर-लचीला विकल्प जुड़ता है।

अब बात प्लेऑफ डायनेमिक्स की। नॉकआउट चरण में ओपनर की एक अच्छी 35-40 गेंदों की पारी मैच की दिशा तय कर देती है। नई गेंद के साथ 6 ओवर में 50-60 का स्टार्ट देने वाला बल्लेबाज बॉलिंग यूनिट पर दबाव डाल देता है। मेंडिस का कौशल पावरप्ले में गैप्स खोजने, सिंगल-डबल से स्ट्राइक रोटेट करने और ढीली गेंदें बाउंड्री में बदलने में दिखता है। बड़े मैदानों पर एरियल शॉट्स से ज्यादा ग्राउंड-शॉट्स का भरोसा—यह चीज कई भारतीय पिचों पर कारगर रहती है।

श्रीलंकाई खिलाड़ियों का IPL में ग्राफ हमेशा उतार-चढ़ाव भरा रहा है। कुछ बड़े नाम—लसिथ मलिंगा जैसे—छाप छोड़ गए। कई बार चयन सीमित रहा। मेंडिस का एंट्री इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि वे अपने देश के कुछ सक्रिय बैटरों में से हैं जिन्होंने पिछले दो साल में सभी फॉर्मैट में निरंतर रन बनाए हैं। T20 के लिए उनका गेम सरल है—पहले 10 गेंद सेट, फिर शॉट-रेंज खोलना। यह टेम्पो भारतीय कंडीशंस में स्थायी नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि जोखिम बैलेंस करता है।

PSL छोड़ने के प्रभावों पर लौटें। किसी भी प्रो लीग में बीच सीजन बाहर होना फ्रेंचाइजी रिश्तों पर असर डालता है। लेकिन जब मुद्दा सुरक्षा का हो, तो खिलाड़ी के फैसले को क्रिकेट बिरादरी अमूमन समझती है। मेंडिस ने वह जोखिम नहीं लिया जो उन्हें असहज बनाता था—और अब वे उस लीग में हैं जहां एक्सपोजर, गुणवत्ता और दबाव तीनों सबसे ऊंचे हैं। यह स्थिति उनके लिए करियर-टर्निंग हो सकती है।

गुजरात की टीम-डायरी में मेंडिस के लिए जगह कैसे बनेगी? ओपनिंग स्लॉट पर वे सीधे फिट हो सकते हैं। अगर टीम प्रबंधन उन्हें नंबर-3 देना चाहे, तो पावरप्ले के बाद स्पिन के खिलाफ उनका स्वीप-गेम काम आएगा। विकेटकीपिंग कराते हैं तो प्लेइंग इलेवन में एक अतिरिक्त बॉलर या बैट्समैन के लिए स्पेस खुलेगा। विदेशी स्लॉट का कॉम्बिनेशन प्लेऑफ में हर मैच से पहले पिच देखकर तय होगा—और मेंडिस की वैल्यू उनकी बहुमुखी भूमिका से बनेगी।

मेंडिस के लिए यह मौका सिर्फ लीग का भाग नहीं, ब्रांड वैल्यू और आगे की T20 लीग्स की खिड़की भी है। IPL में 4-6 मैच की ब्राइट स्पेल कई करियरों की दिशा बदल देता है—नेशनल टीम में रोल शिफ्ट से लेकर अगले ऑक्शन में कीमत तक। 75 लाख की एंट्री से वे किस ऊंचाई तक जाते हैं, यह अगले पखवाड़े में साफ हो जाएगा।

आंकड़ों से परे, एक मानवीय एंगल भी है। 2021 की गलती, सार्वजनिक आलोचना, बैन—और फिर धीरे-धीरे रन से सम्मान वापस पाना। यह चक्र क्रिकेट में आम नहीं, पर कम भी नहीं। फर्क यह है कि हर किसी को IPL जैसी खिड़की नहीं मिलती। मेंडिस ने मौके के ठीक पहले खुद को फॉर्म में रखा—बांग्लादेश, न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ हालिया प्रदर्शन इसका सबूत हैं।

लीग स्तर पर भी यह मूव फिट बैठता है। सीजन का रिस्क कैलेंडर, सीमित विदेशी उपलब्धता और प्लेऑफ में हाई-इंटेंसिटी फेज—इन तीनों के बीच एक ऐसा बल्लेबाज जो पावरप्ले से मिडल तक बारीकी से बैटिंग कर सके, सोने पर सुहागा है। अगर वे पहले 20-25 गेंद तक टिक जाते हैं, तो रन-रेट पर उनका असर सीधा दिखेगा।

जो दर्शक IPL को एंटरटेनमेंट की नजर से देखते हैं, वे मेंडिस के गेम में कुछ पुराने-स्कूल की झलक भी पाएंगे—फील्ड के हिसाब से शॉट-सेलेक्शन, फास्ट बॉलिंग के खिलाफ बैकफुट गेम, और स्पिन पर स्वीप-रिवर्स का मिश्रण। T20 में अक्सर यही मिश्रण बॉलर की लय तोड़ता है।

  • रोल क्लैरिटी: ओपन/टॉप-थ्री, विकेटकीपिंग का विकल्प, पावरप्ले में टेम्पो सेट करना।
  • टीम बैलेंस: कीपिंग से अतिरिक्त बॉलर/फिनिशर जोड़ने का स्पेस।
  • फॉर्म फैक्टर: हालिया इंटरनेशनल और फ्रेंचाइजी परफॉर्मेंस से आत्मविश्वास ऊंचा।
  • प्लेऑफ इम्पैक्ट: छोटे सैंपल में हाई-इम्पैक्ट पारियों की कीमत ज्यादा होती है।

और हां, शेड्यूलिंग ट्विस्ट—फाइनल 3 जून को—का मतलब यह भी है कि कंडीशंस थोड़ी सूखी और स्पिन-फ्रेंडली हो सकती हैं। ऐसी पिचों पर स्वीप और स्ट्राइक-रोटेशन करने वाले बैटर की वैल्यू बढ़ती है। यह मेंडिस की ताकत के अनुकूल है।

टीम मैनेजमेंट के लिए एक अहम काम होगा—उनके गेम के इर्द-गिर्द माइक्रो-रोल तय करना: किस ओवर फेज में किन बैटर्स के साथ भेजना, किन बॉलर्स के खिलाफ पहले से प्लान बनाना, और फील्ड प्लेसमेंट के हिसाब से शॉट-मैपिंग। T20 में इन सूक्ष्म फैसलों से ही 10-15 रन का फर्क बनता है—और प्लेऑफ में यही फर्क मैच जिता देता है।

गुजरात की वर्तमान फॉर्म और तालिका में स्थिति देखते हुए, मेंडिस किसी ड्रेसिंग रूम पर प्रेशर नहीं जोड़ते, बल्कि विकल्प बढ़ाते हैं। बड़े मैचों में अगर टॉस और ओस जैसे फैक्टर उल्टे पड़ें, तो मेंडिस की तेजी से 30-40 रन की इनिंग टीम को एंकरिंग स्पेस देती है। दूसरी ओर, अगर शुरुआत लड़खड़ाए, तो वे सिंगल-डबल से खेल को वापस पटरी पर ला सकते हैं।

कहानी का सार यही है—PSL से बाहर निकल कर मेंडिस ने जोखिम लिया, पर उसी जोखिम ने उन्हें वह मंच दिया जहां एक अच्छी पारी करियर की परिभाषा बदल सकती है। अब गेंद उनके पास है: पहला IPL, प्लेऑफ का दबाव, और सामने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ। गुजरात ने कार्ड खेल दिया है, अब बारी कुसल मेंडिस की है कि वे इसे विजयी चाल में बदलें।

प्लेऑफ से पहले चेकलिस्ट: टीम रणनीति, उपलब्धता और कंडीशंस

प्लेऑफ से पहले चेकलिस्ट: टीम रणनीति, उपलब्धता और कंडीशंस

उपलब्धता क्लियर: PSL से अलग होने के बाद मेंडिस की यात्रा और रिपोर्टिंग की प्रक्रिया फ्रेंचाइजी ने तय समय पर पूरी की है। प्लेऑफ से ठीक पहले खिलाड़ियों का सेट होना टीम को प्लान-बी और प्लान-सी दोनों देता है।

रणनीति का फोकस: मेंडिस को टॉप-ऑर्डर में भेजना, विकेटकीपिंग की जिम्मेदारी देना, और स्पिन-हैवी ओवरों में स्ट्राइक-रोटेशन पर भरोसा करना। तेज गेंदबाजों के खिलाफ बैकफुट गेम से शुरुआती ओवर में बाउंड्री टच, जबकि स्लोअर-सर्फेस पर स्वीप-रिवर्स का इस्तेमाल।

कंडीशंस मैट्रिक्स: जून की शुरुआत में पिच सूखती है, दुपहरी मैचों में स्पिन ग्रिप बढ़ती है। रात के खेल में ओस का फैक्टर हो सकता है। मेंडिस जैसे बैटरों के लिए दोनों परिदृश्यों के अलग प्लान चाहिए—बैटिंग सेकंड हो तो जोखिम-मैनेजमेंट, बैटिंग पहले हो तो 6 ओवर का अधिकतम उपयोग।

प्रतिद्वंद्वी रीडिंग: प्लेऑफ में सामने आने वाली टीमों के पास हाई-आर्म स्पिन, स्लोअर-वन और हार्ड लेंथ का कॉम्बो होता है। मेंडिस की स्कोरिंग एरिया—कवर-पॉइंट के गैप, स्क्वायर-लेग के पीछे और मिडविकेट के आगे—पर शॉट-मैपिंग से बॉलर की लेंथ बिगाड़ी जा सकती है।

और सबसे अहम—ड्रेसिंग रूम की धड़कन। नए खिलाड़ी को प्लेऑफ से पहले सहज कराना, नेट्स में मैच-सिचुएशन ड्रिल, और पहले गेम में स्पष्ट रोल—ये छोटी चीजें बड़ी पारी का रास्ता बनाती हैं। गुजरात टाइटंस इस फॉर्मूले को पिछले सीजनों में सफलतापूर्वक अपनाते आए हैं, और मेंडिस के साथ यही पैटर्न दोहराया जा सकता है।

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