देश की सुरक्षा में एयरफ़ोर्स की बड़ी भूमिका है, लेकिन अक्सर हमें पता चलता है कि हमारे पास पर्याप्त लड़ाकू विमान नहीं होते। यह समस्या सिर्फ अकाउंट बहीखाता की बात नहीं, बल्कि जमीन पर सैनिकों की तैयारियों को सीधे असर करती है। अब देखिए, इस अभाव का मुख्य कारण क्या‑क्या है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
बजट और एकरुपता की कमी
सबसे पहला कारण है बजट का सही आवंटन नहीं होना। जब रक्षा खर्च को कम आंकते हैं, तो आधुनिक विमानों का खरीदना या अपने कारखानों में बनवाना मुश्किल हो जाता है। अक्सर बजट में कटौती या अनिश्चितता के कारण पुराने मॉडलों को चलाते रहना पड़ता है, जिससे नई तकनीक का उपयोग नहीं हो पाता। साथ ही, कई बार विभिन्न विभागों की योजना एक‑दूसरे से टकराती है, जिससे ऑर्डर में देरी और लागत बढ़ती है।
तकनीकी गड़बड़ी और आयात निर्भरता
दूसरा अहम मुद्दा है तकनीकी आत्मनिर्भरता की कमी। जब हम विदेशी निर्माताओं पर निर्भर रहते हैं, तो डिलीवरी के समय में देरी, कस्टम क्लियरेंस और रख‑रखाव की समस्याएं सामने आती हैं। अपने देश में विंग टेक्नोलॉजी विकसित न होने से भी हम नई लड़ाई की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते। इस कारण कई बार पुराने विमानों को अपडेट करना पड़ता है, जो कभी‑कभी गड़बड़ी का स्रोत बन जाता है।
तो अब इस समस्या का समाधान क्या है? सबसे पहले, रक्षा बजट को स्थिर और पर्याप्त बनाना जरूरी है। अगर सरकार दीर्घकालिक योजना बनाकर फंड आवंटित करे, तो निर्माताओं को भरोसा रहेगा और बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो सकेगा। दूसरा, भारत में फॉसिल इंटेग्रेटेड हवाई अड्डे और एयरोस्पेस कंपनियों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि विमानों का निर्माण घरेलू स्तर पर हो सके। इससे आयात पर निर्भरता घटेगी और रख‑रखाव भी आसान रहेगा।
एक और आसान कदम है मौजूदा विमानों की अपग्रेडिंग पर फोकस करना। पुराने जेट्स में नई रडार, बेहतर इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर और एन्हांस्ड इंजन लगवाने से उनकी लाइफ बढ़ती है और युद्ध में उनकी प्रभावशीलता भी बढ़ती है। यह कम खर्चे में बड़ी शक्ति प्रदान कर सकता है। साथ ही, पायलटों और मेंटेनेंस स्टाफ को नियमित प्रशिक्षण देना चाहिए, ताकि वे नई तकनीक को जल्दी अपनाएं।
अंत में, जनता का सहयोग भी मायने रखता है। अगर हम सुरक्षा मुद्दों पर जागरूक हों और सरकार को जवाबदेह रखें, तो रक्षा नीतियों में पारदर्शिता बढ़ेगी। इस तरह, युद्ध विमानों का अभाव सिर्फ एक आंकड़ा नहीं रहेगा, बल्कि एक ऐसी समस्या बन जाएगी जिसे हम मिलकर हल कर सकें।
जुलाई 28, 2023
क्या कभी हवाई जहाज़ों का हवा में टकराव हुआ है? युद्ध विमानों के बिना?
ब्लॉग पढ़ने का धन्यवाद, आज हम बात करेंगे एक बहुत ही अद्भुत विषय पर - क्या कभी हवाई जहाज़ों का हवा में टकराव हुआ है? और वो भी बिना युद्ध विमानों के! क्या आपने कभी ऐसा सोचा है? हाँ, मैं जानता हूं यह कुछ ज़्यादा ही फिल्मी हो गया, लेकिन यह विचारनीय है। मानो या न मानो, ऐसा हो चुका है। लेकिन यह बहुत ही दुर्लभ घटना होती है क्योंकि हवाई जहाज़ के पायलट को बेहद सतर्क रहना पड़ता है और उन्हें हर समय अपने आस-पास की स्थिति का ध्यान रखना होता है।