बिहार बोर्ड की दसवीं की परीक्षा में छात्र बगैर जूता और मोजा के पहुंचे. दरअसल, कुछ दिन पहले ही बोर्ड ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बोर्ड की परीक्षा देने वाले छात्रों से बगैर जूता-मोजा पहने परीक्षा केंद्र पर आने की बात कही थी. इस फरमान के पीछे बोर्ड का तर्क था कि वह ऐसा करके परीक्षा के दौरान नकल को रोक पाएंगे. बोर्ड के इस फरमान के बाद बुधवार से शुरू हुई परीक्षा में 17.70 लाख छात्र राज्य के कुल 1,426 परीक्षा केंद्रों पर चप्पल पहनकर पहुंचे. गौरतलब है कि पिछले साल आर्ट्स के टॉपर पर नकल करके टॉपर बनने का आरोप लगा था. इससे पहले 2016 में रुबी राय के टॉपर होने पर भी सवाल उड़े थे.
बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस आदेश में कुछ भी नया नहीं है. राज्य में आयोजित होने वाली कॉम्पिटेटिव परीक्षाओं में पहले ऐसा हो चुका है. बोर्ड ने इस साल से इस तरीकों को अपनाने का फैसला किया. हमारा यह प्रयास परीक्षा के दौरान नकल रोकने के लिए है.