दसवीं के नतीजों में नम्बर का रबर खींचने का खेल अगले साल से इतिहास हो जाएगा. CBSE इस बाबत अपनी नई और ज्यादा वैज्ञानिक, तर्कसंगत और व्यवहारिक नीति अगले साल से लागू करेगा. इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 8 राज्यों के शिक्षा बोर्ड का ग्रुप बनाया है. इंटर बोर्ड वर्किंग ग्रुप नामक ये समूह सभी राज्यों में समान नीति लागू करने की दिशा में काम करेगा.
ये वर्किंग ग्रुप अपने रिसर्च और सुझावों पर जल्दी जल्दी बैठक कर चार महीनों में मॉडल गाइडलाइन सरकार को सौंप देगा. फिर उस पर राज्य सरकारों से चर्चा होगी. उनके सुझावों पर भी विचार कर अगले साल 2018 में इसे लागू करने की मंशा है.
मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक ये ग्रुप परीक्षार्थियों को दिये जाने वाले नम्बर, रिवीजन के नियम, ग्रेस मार्क्स, पढ़ाई में एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज जैसे मामलों में भी एकरूपता बनाने की दिशा में व्यवहारिक उपाय तलाशेगा. राज्यों के शिक्षा और परीक्षा स्तर में एकरूपता लाने की गरज से इस पर भी कम होगा कि सभी राज्यों के बोर्ड आपस मे प्रश्नपत्र और करिकुलम की जानकारी बांटें.
CBSE इस उपक्रम को इसी साल लागू करना चाहता था. लेकिन मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा तो कोर्ट ने इसके समय पर सवाल पूछा. अब सरकार ने कोर्ट को इस नए प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी है.
सरकार ने उम्मीद जताई है कि तय समय में रिसर्च और नीति तैयार करने का काम ग्रुप कर लेगा. राज्यों से विचार विमर्श के बाद इसे अगले सत्र से लागू किया जा सकेगा.